ये लड्डू वात विकारों जैसे शरीर में दर्द, पेट में गैस, भूख कम लगना, ऐसा दर्द जो शरीर में घूमता हो, महिलाओं में डिलीवरी के बाद शरीर के होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
ये लड्डू वात विकारों जैसे शरीर में दर्द, पेट में गैस, भूख कम लगना, ऐसा दर्द जो शरीर में घूमता हो, महिलाओं में डिलीवरी के बाद शरीर के होने वाले नुकसान से बचाते हैं। शरीर को डिटॉक्स भी करते हैं। डिलीवरी के बाद महिलाएं सौंठ, गोंद और बूरा के भी लड्डू खा सकती हैं।
दूध में भिगोकर बनाएं : सौंठ की गांठों को रातभर के लिए दूध में भिगोने के बाद अगले दिन उसे घी में तलकर चूर्ण बना लेते हैं। फिर एक किलोग्राम मूंग या गेंहू के आटे को भूनकर उसमें 100 ग्राम सौंठ चूर्ण मिलाएं। इसमें भी 500-500 ग्राम घी और गुड़ मिलाकर लड््डू बना लें।
50-100 ग्राम खाएं : इसे 50-50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खा सकते हैं। नई माताएं 100-100 ग्राम भी खा सकती हैं।
सावधानियां- सर्दी के लड्डुओं की तासीर गरिष्ठ होती है। इन्हें खाने के बाद जब भूख लगे तो खाना खाएं, नहीं तो गुणवत्ता कम होगी। पाचन भी बिगड़ सकता है। साथ में खट्टी-ठंडी चीजें जैसे दही, छाछ, अचार, अमचूर, जंक- फास्ट फूड, मैदा, मावा, बेसन और मेवे की मिठाइयां भी नहीं खाएं।
Be the first to comment